गुरु पौर्णिमा क्या है
गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन गुरुओं का सम्मान और उनका आभार व्यक्त करने के लिए विशेष सेवा की जाती है, पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं. गुरु की संधि की जाए तो संस्कृत मे “गु” मतलब अंधकार और “रु” मतलब दूर करना, यानि गुरु मतलब अंधकार दूर करनेवाला एक ऐसा व्यक्ति जो आपको शिक्षा देके आपका ज्ञान का भंडार बढ़ाता है और आपको अज्ञान के अंधकार से निकालकर कामयाबी के उजाले तक लेके जाता है.
गुरु पौर्णिमा क्यू मनाई जाती है
ऐसा माना जाता है की सबसे पहले गुरु है आदी योगी, जिनको हम भवन शंकर के नाम से जानते है उन्होने इसी दिन सप्तऋषियों को योग का ज्ञान दिया था.मुख्य रूप से महर्षि वेद व्यास को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की. माना जाता है कि उनका जन्मदिन इसी दिन पड़ता है.
गुरु पौर्णिमा के दिन क्या करे ?
प्रात:काल मे सुबह स्नान करके. स्वच्छ वस्त्र पहनके गुरु की उपासना की तयारी करनी है. आपके लिए आपके गुरु मतलब आपके गुरुजी, माताश्री, पिताश्री, भगवान और कोई ऐसा व्यक्ति जिनसे आप बोहोत ज्यादा प्रभावित हुए हो. व्यक्ति हो तो उनके लिए आप कुछ बनाके ले जा सकते है, उनके लिए कुछ भेट ले के जा सकते है और आदर से उनको वह देके उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद ले सकते है.यदि आप गुरु समान भगवान की पुजा करना चाहते है तो उनके लिए प्रशाद बना सकते है और फूल, चंदन, धूप, जल, अगरबत्ती और मिठाई अर्पण कर उनकी आराधना कर सकते है. इस दिन पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पुजा करने की भी मान्यता है.
गुरु पौर्णिमा का समय क्या है ?
प्रारम्भ – 5:59 pm (20 जुलाई 2024)
समाप्ती – 3:46 pm (21 जुलाई 2024)